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4.6.11

अब आदमपुर तुम्हारे हवाले साथियों..........















अब आदमपुर तुम्हारे हवाले साथियों..........
नम आंखों से दी भजन को विदाई
मंडी आदमपुर:पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल को उनके हजारों समर्थकों ने शनिवार शाम पौने 6 बजे आदमपुर के बिजली घर के सामने स्थित मैदान में नम आंखों से विदाई दी और बिश्नोई रीति रिवाजों के अनुसार उनके पार्थिव शरीर को राजकीय सम्मान के साथ दफनाया गया। चौ. भजनलाल की शव यात्रा हिसार के 15 सैक्टर आवास से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर चली इस यात्रा में उनके दोनों पुत्र चंद्रमोहन और कुलदीप बिश्नोई के अलावा भतीजा दूड़ाराम, देवीलाल, द्वारका प्रसाद व उनके पौत्र शामिल थे। शव यात्रा राजकीय सम्मान के साथ हलके के गांव न्यौली, मात्रश्याम, मिंगनीखेड़ा, सलेमगढ़, काबरेल व सीसवाल होते हुए 4 बजकर 40 मिनट आदमपुर की अनाज मंडी पहुंची जहां कुछ पलों के लिए उनके शव को हलके की जनता के दर्शनार्थ रखा गया। करीब दस मिनट तक लोगों ने भजनलाल अमर रहे के नारे लगाए और पुष्पांजलि दी। इस दौरान हजारों की संख्या में उमड़े लोगों को देखकर कुलदीप बिश्नाई की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी। बाद में यात्रा एडीशनल मंडी, सामान्य हस्पताल रोड, आदमपुर थाना के आगे से होते हुए बाईपास बिजली घर के सामने समाधी स्थल पर पहुंची। जहां राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा, मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप शर्मा, कांग्रेस हरियाणा प्रभारी बीके हरिप्रसाद, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष फूलचंद मुलाना, राज्यसभा सांसद बीरेन्द्र डुमरखां, इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला, परिवहन मंत्री ओमप्रकाश जैन, स्वास्थ्य मंत्री राव नरेंद्र सिंह, लोक निर्माण मंत्री रणदीप सूरजेवाला, राजस्व मंत्री सतपाल सांगवान, बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष रणबीर महेंद्रा, मुख्य संसदीय सचिव धर्मबीर सिंह, रामकिशन फौजी, प्रहलाद सिंह गिलाखेड़ा, विनोद भ्याणा, जिलेराम शर्मा, विधायक प्रो.संपत सिंह, रामनिवास घोड़ेला, पूर्व सांसद जयप्रकाश, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव कैप्टन अभिमन्यु, पूर्व मंत्री प्रो.गणेशीलाल, सुभाष गोयल, पूर्व विधायक अमीरचंद मक्कड़, रामकुमार गौतम, मांगेराम गुप्ता, कुलबीर बेनीवाल के अलावा आईजी अनंत कुमार ढुल व आयुक्त एमपी बंसल ने पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद चौ.भजनलाल को पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इसके बाद राजनीति के इस धुरंधर योद्धा के शव को उनके पुत्र चंद्रमोहन व कुलदीप बिश्नोई ने आदमपुर-अग्रोहा मार्ग पर स्थित बिजली घर के सामने बिश्नोई समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार दफना दिया। 
आखिरी लाल भी जुदा ,लालों की राजनीति का चेहरा थे
मंडी आदमपुर: तीन लालों की राजनीति के नाम से मशहूर प्रदेश की राजनीति के आखिरी लाल भी आज हमसे जुदा हो गए। हरियाणा के तीन लालों देवीलालए बंसीलाल और भजनलाल ने अपने.अपने अंदाज में प्रदेश की राजनीति को अलग रंग और तेवर दिए। इनमें भजनलाल को राजनीति की पीएचडी में माहिर माना जाता था। देवीलाल और बंसीलाल हमसे पहले जुदा हो गए थे और शुक्रवार को भजनलाल चल बसे। मुख्यमंत्री के तौर पर भजनलाल की राज्य में तीन पारियां थीं भजनलाल की संक्षिप्त पारी रू पहली बार 1979 में भजनलाल ने देवीलाल के विधायकों को अपने पक्ष में करके मुख्यमंत्री का पद हासिल किया। तब देवीलाल और भजनलाल दोनों ही जनता पार्टी में थे। आपातकाल के बाद 1977 में देवीलाल सूबे के मुख्यमंत्री बने। पर दो साल बाद भजनलाल के जनता पार्टी की सरकार के तौर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का वर्चस्व पूरे देश में हो गया। भजनलाल भी पूरे लाव लश्कर के साथ कांग्रेस में चले गए। भजनलाल के शब्दों में यह उनकी घर वापसी थी। भजनलाल के सामने कोई बड़ी चुनौती नहीं थी। प्रोण् शेर सिंह जैसे नेता उनके साथ आकर केंद्र में मंत्री बन गए थे। बंसीलाल अपनी अपमानजनक हार के बाद चुपचाप घर बैठे थे। भजनलाल के सामने सबसे बड़ी समस्या सामाजिक समीकरण थे। भजनलाल को जल्द आभास हो गया था कि जाटों का बडे स्तर पर उन्हें समर्थन हासिल नहीं होगा। जाटों को इस बात का भी गिला था कि भजनलाल ने देवीलाल को हटाकर गद्दी हासिल की थी। इसलिए उन्होंने राज्य में ब्रांाण और पंजाबियों को तरजीह देकर नए राजनीतिक समीकरण स्थापित कर दिए। भजनलाल की समूची राजनीति 1982 के विधानसभा के चुनाव के पेशनजर थी। भजनलाल की हार और जीत की संभावना बराबर.बराबर थी। पार्टी के बाहर भजनलाल के सामने देवीलाल की चुनौती थी तो पार्टी के भीतर बंसीलालए बीरेंद्र सिंह और शमशेर सिंह सुरजेवाला सरीखे जाट नेताओं की चुनौती थी। पर चुनाव की रणभेरी बजने पर भजनलाल ने कांग्रेस में अपने ज्यादा से ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाकर बाजी मार ली। वैसे हाईकमान की तरफ से भी हरी झंडी थी कि अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो भजनलाल ही मुख्यमंत्री होंगेए पर चुनाव में किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस के पास 34 विधायक थे और लोकदल के पास 31 जीत सरकार बनाने के लिए 45 विधायकों की दरकार थी। बाजी आजाद विधायकों के हाथ थी। लोकदल के चौधरी देवीलाल और बीजेपी के डाण्मंगल सेन ने राज्यपाल जीडी तपासे के पास 46 विधायकों का दावा पेश कियाए पर राज्यपाल ने कांग्रेस को सबसे बड़ा राजनीतिक दल मानकर भजनलाल को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलवा दी। बाद में भजनलाल विधानसभा में बहुमत साबित करने में सफल हुए। बेशक तख्ता पलट कर भजनलाल की पहली पारी संक्षिप्त रही पर वह दूसरी पारी बुनियाद बनी। भजनलाल की दूसरी पारी रू चाहे जैसे भी हो भजनलाल दूसरी बार मुख्यमंत्री बन ही गए। पर दूसरी बार देलीलाल को पटखनी देने से जाट वर्ग भजनलाल के और अधिक खिलाफ हो गया।

गैर जाट नेता के रूप में बनाई थी अलग पहचान 
आदमपुर:1965 में जब एक सीधे-सादे व्यक्ति ने आदमपुर ब्लॉक समिति का चुनाव लड़ा तो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि यही साधारण से दिखने वाले व्यक्ति एक दिन प्रदेश व देश की राजनीति में एक असाधारण शख्सियत बनकर जहां हरियाणा में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकार्ड अपने नाम करवाएंगे वहीं केंद्र में मंत्री रहकर देश की राजनीति के दिशा निर्धारण तक का कार्य करेंगे। तीन बार हरियाणा के मुख्यमंत्री, केंद्र में कृषि मंत्री रहने वाले चौ. भजनलाल के राजनीतिक कौशल को देखते हुए राजनीतिक पंडित आज भी उन्हें राजनीति के पीएचडी मानते हैं। चौ. भजनलाल के व्यक्तित्व का खास पहलू यह भी रहा है कि उन्होंने उच्च राजनीतिक पदों पर रहते हुए भी कभी अपने और जनता के बीच दूरी नहीं पनपने दी। व्यवहार कुशल चौ. भजनलाल न केवल आदर्श प्रशासक रहे हैं बल्कि बेजोड़ संगठनकर्ता के रूप में भी उनका कोई सानी नहीं है। अपने 43 वर्ष के लंबे राजनीतिक जीवन में चौ. भजनलाल ने विकट से विकट स्थिति में भी किसी दबाव या समस्या के आगे घुटने नहीं टेके। अपने आदर्श व सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए उन्होंने जनहित व विकास के मामले में कई ऐसे फैसले लिए हैं जिसके कारण उनका नाम देश व प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा।पूर्व मुख्यमंत्री चौ.भजनलाल का जन्म 6 अक्टूबर 1930 को कोरांवाली जिला बहावलपुर पंजाब (वर्तमान पाकिस्तान) में बिश्नोई परिवार में हुआ था। भजनलाल ने आदमपुर में पंचायती चुनावों से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की थी। 1965 में ब्लॉक समिति के चेयरमैन बनने के बाद चौ. भजनलाल 1968 पहली बार आदमपुर क्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में विधानसभा में पहुंचे और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। 1970 में वे पहली बार हरियाणा के कृषि मंत्री बने। इसके बाद 1977-79 तक वे फिर प्रदेश के कृषि मंत्री रहे। 1977 में बाबू जगजीवन राम ने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी पार्टी बनाई जिसका सर्वेसर्वा चौ. भजनलाल को बनाया गया, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी की भी सहमति थी। इस समय वे  इंदिरा गांधी के सबसे विश्वासपात्र लोगों की जमात में थे। इस पार्टी ने भाजपा के घटक दल के रूप में कार्य किया। इसके बाद 28 जून 1979 में चौ. भजनलाल ने पहली बार हरियाणा की बागडोर संभालते हुए मुख्यमंत्री पद ग्रहण किया। 1982 से 1986 तक वे दोबारा हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। जून 1986 से 1989 तक राज्यसभा के सदस्य रहते चौ. भजनलाल ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के नेतृत्व  में कृषि मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला। तत्पश्चात 1989 के हुए आमचुनाव में वे फरीदाबाद लोकसभ क्षेत्र से सांसद चुने गए। 1991 में वे आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और 23 जुलाई 1991 से 11 मई 1996 तक एक बार फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। 1996 के विधानसभा चुनावों में फिर आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए। 1998 में लोकसभा भंग होने के कारण उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा देकर करनाल लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और वे जीत हासिल कर एक बार फिर लोकसभ में पहुंच गए। 1998 में आदमपुर विधानसभा के उपचुनाव में उनके छोटे पुत्र कुलदीप बिश्रोई ने राजनीति में कदम रखते हुए चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा में पहुंचे। 2000 में हुए विधनसभा चुनावों में वे एक बार फिर आदमपुर से विधायक चुने गए तथा विपक्षी दल के नेता रहे। 2002 में उन्होंने अध्यक्ष के रूप में हरियाणा कांग्रेस की बागडोर संभाली। उनके नेतृत्व में हुए 2004 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा की दस में से नौ लोकसभा सीटों पर रिकार्ड जीत हासिल की। इस आम चुनाव में उनके पुत्र कुलदीप बिश्नोई ने भिवानी में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पुत्रों को कड़ी टक्कर देकर जीत हासिल की थी। इसके पश्चात 2005 के विधानसभा चुनावों में भी चौ. भजनलाल के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी को काफी सीटों पर भारी बहुमत मिला। 2005 में उन्हें दोबारा प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। हरियाणा में 2005 में हुए विधानसभा चुनावों में प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को बहुमत मिलने के बाद कांग्रेस आलाकमान द्वारा भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के पश्चात भजनलाल की कांग्रेस से दूरी बन गई। उन्होंने बगावत का बिगुल फूंक दिया तथा जनहित की लड़ाई में 2006 में अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। 2 दिसंबर 2007 को उन्होंने अपने बेटे कुलदीप बिश्नोई के साथ रोहतक में हरियाणा जनहित कांग्रेस (बीएल) नामक नई पार्टी की घोषणा की। 2008 में उन्होंने विधायक पद से त्यागपत्र देकर अपने पुत्र कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2009 में चौधरी भजनलाल ने हिसार से सांसद का चुनाव भी जीता।हरियाणा की जीवन रेखा मानी जाने वाली एसवाईएल नहर के निर्माण और इसका फैसला हरियाणा के हक में करवाने में सबसे अधिक योगदान पूर्व मुख्यमंत्री चौ. भजनलाल का रहा है। 9 अप्रैल 1982 को चौ. भजनलाल ने ही पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय  इंदिरा गांधी से पुरी गांव में कस्सी चलवा कर एसवाईएल की खुदाई का कार्य शुरू करवाया था। जहां एसएवाईएल के निर्माण का 98 प्रतिशत कार्य उनके कार्यकाल व उनके नेतृत्व में हुआ है वहीं 1995 में उन्होंने ही सुप्रीम कोर्ट में रिट डालकर हरियाणा के हिस्से का पानी एसवाईएल में छोडऩे की मांग की थी।

भजनलाल 1 जून को आए थे अंतिम बार आदमपुर
पूर्व मुख्यमंत्री चौ.भजनलाल को आदमपुर से इतना लगाव था कि वे होली व दीपावली के त्योंहार हमेशा आदमपुर आकर ही अपने समर्थकों के बीच मनाते थे तथा त्योंहार के पहले दिन शाम को ही अपने अनाज मंडी स्थित प्रतिष्ठान पर पहुंच जाते थे। इसी तरह विवाह शादियों में भी वे जरूर पहुंचते थे।एक बार उनके सीएम रहते वक्त जब एक व्यापारी अपने लडक़े की शादी का कार्ड उन्हें देने आया तो वे उससे पूछने लगे कि लडक़े की बारात कहा जाएगी। इस पर जब उस व्यापारी ने कहा कि लडक़ी वाले ही यहां बारात लेकर शादी करने आएंगे तब भजनलाल ने कहा कि ऐसा करना अच्छी बात नहीं है लडक़े वालों को ही बारात लेकर जानी चाहिए ताकि बारातियों को बारात का आनंद आ सके। इसके अलावा आदमपुर क्षेत्र के गरीब-अमीर व्यक्ति की मौत पर भी शोक प्रकट करने अवश्य आते थे। यहीं नहीं उस समय भी वे परिवार के सदस्यों के दुख-सुख की सुनकर परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात कह जाते तथा उनके कार्यकाल में निश्चित तौर पर उस परिवार के किसी एक योग्य सदस्य को रोजगार मिल जाता था। जिसके चलते काफी लोग भजनलाल को आज भी देवता की तरह समझते है। इसी कड़ी में बुधवार एक जून को वे अंतिम बार आदमपुर में शोक जताने के लिए आए थे। भजनलाल पहले लेडिज मार्केट और फिर गांव सदलपुर में शोक जताने पहुंचे। 
राजनैतिक, सामाजिक, व्यापारीक व धार्मिक संगठनों ने शोक जताया   
सांसद भजनलाल के निधन पर आदमपुर के सभी राजनैतिक दलों कांग्रेस, इनेलो, भाजपा, हजकां के नेताओं व पदाधिकारियों ने शोक व्यक्त किया है। इसी तरह आदमपुर ग्राम पंचायत, व्यापार मंडल, अग्रवाल सभा, प्रेस क्लब के अलावा खंड की सभी ग्राम पंचायतों के सरपंचों, पंचों ब्लॉक समिति एवं जिला परिषद् के सदस्यों ने शोक प्रकट करते हुए कहा है कि आदमपुर क्षेत्र ने ही नहीं बल्कि प्रदेश ने एक मिलनसार राजनेता खो दिया है जिसकी कमी उन्हें खलती रहेगी। 
राजस्थानी ओढऩे से शुरू किया व्यापार
प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान बनाने वाले भजनलाल ने आदमपुर में ओढऩे बेचने के कार्य से काम शुरू किया था। वे राजस्थान से पीले पोमचें एवं चुनरियां लाकर आदमपुर क्षेत्र में घर-घर जाकर बेचते थे बाद में यहां उनकी मुलाकात स्व. पोकरमल बैनीवाल से हुई तथा मुलाकात एक गहरी दोस्ती मे बदल गई। जिसके चलते दोनों ने मिलकर देशी घी का कारोबार शुरू कर दिया जो बहुत ही अच्छा चला। इसके बाद दोनों ने दोस्ती को आगे बढ़ाते हुए अनाज मंडी में चौ. पोकरमल भजनलाल के नाम से फर्म खोलकर आढ़त का काम शुरू कर दिया। 1956 में अकाल के समय चने के व्यापार में इनका कारोबार काफी फला-फुला। उस समय आदमपुर के पूर्व सरंपच स्व. बेगराज गुप्ता के साथ भी इन्होंने व्यापार को आगे बढ़ाया। बाद में भजनलाल ने यहीं से अपना राजनैतिक करियर शुरू करते हुए आगे बढ़ते गए और फिर कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा।
नौ बार विधायकए तीन बार सांसद
मंडी आदमपुर:आदमपुर से पहली बार कांग्रेस के टिकट पर 23 हजार 723 मत हासिल कर निर्दलीय प्रत्याशी बलराज को 10 हजारए 44 मतों से शिकस्त दी। 41972 रू आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से दूसरी बार कांग्रेस के टिकट पर देवीलाल को 10 हजारए 361 मतों से शिकस्त दी।41977 रू आदमपुर से तीसरी बार जनता पार्टी के टिकट पर निर्दलीय प्रत्याशी मोहर सिंह को 20 हजारए 803 मतों से शिकस्त दी। 41982 रू आदमपुर से चौथी बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ते हुए लोकदल के नर सिंह बिश्नोई को 25 हजारए 112 मतों से शिकस्त दी। 41991 रू आदमपुर से पांचवीं बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जनता पार्टी के हरि सिंह को 31 हजारए 996 मतों से शिकस्त दी।41996 रू आदमपुर से छठी बार कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़ते हुए हरियाणा विकास पार्टी के सुरेंद्र सिंह को 20 हजारए 7 मतों से शिकस्त दी। 42000 रू आदमपुर से सातवीं बार कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भाजपा के गणेशी लाल को 46 हजारए 57 मतों से हराया। 42005 रू आदमपुर से आठवीं बार कांग्रेस टिकट पर इनेसो के राजेश गोदारा को 71 हजारए 111 मतों से शिकस्त दी।42008 रू नई पार्टी बनाने के बाद आदमपुर में हुए उपचुनाव में भजनलाल ने नौंवी व अंतिम बार चुनाव लड़ते हुए कांग्रेस प्रत्याशी रणजीत सिंह को 26 हजारए 188 मतों से शिकस्त दी। लोकसभा चुनाव रू 41989 रू फरीदाबाद से भजनलाल ने जनता दल के खुर्शीद चौधरी को शिकस्त दी।41998 रू करनाल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए भारतीय जनता पार्टी के आइडी स्वामी को शिकस्त दी। 42009 रू पहली बार हजकां के प्रत्याशी के तौर पर हिसार से कांग्रेस के जयप्रकाश को शिकस्त दी।
 आदमपुर क्षेत्र में मातम का माहौल, छाया सन्नाटा
मंडी आदमपुर:आदमपुर की राजनीति के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद चौ.भजनलाल के निधन के समाचार मिलने के बाद आदमपुर में सन्नाटा छा गया और देखते ही देखते कस्बे के सभी बाजार बंद हो गए। चौ. भजनलाल के तबीयत खराब होने की सूचना जैसे ही लोगों को मिली तो उनके समर्थक हिसार के लिए रवाना हो गए। बाद में जब आदमपुर में लोगों को उनके निधन का पता चला तो वे अनाज मंडी स्थित उनके प्रतिष्ठान पर पहुंचने शुरू हो गए। देखते ही देखते लोगों का जगावड़ा लग गया और पूरा कस्बा शोक में डुब गया। मानो आदमपुर में ग्रहण सा लग गया हो। वहीं बिश्नोई बाहुल्य गांव आदमपुर, सदलपुर, सारंगपुर, भाणा, भोडिया, सीसवाल, चौधरीवाली, महलसरा, मोठसरा में तो शोक का आलम यह था कि लोगों की आंखों से भजनलाल के बारे में बातचीत करते समय भी आंसू टपक रहे थे एवं उनके मुहं से बोल भी नहीं निकल पा रहे थे। मानो उनके परिवार का अति निकटतम व्यक्ति ही उनसे बिछुड़ गया हो।
घर में कदम रखते ही फफक पड़े कुलदीप
मंडी आदमपुर:अपने तेवरों से प्रदेश सरकार को हिलाने वाले हरियाणा जनहित कांग्रेस के सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई सेक्टर 15 स्थित अपने घर में कदम रखते ही फफक पड़े। पिता के निधन का समाचार सुनकर कुलदीप बिश्नोई पत्नी रेणुका बिश्नोई के साथ शाम को हिसार पहुंच गए थे। गाड़ी से उतरने के बाद कुलदीप सीधे अपने पिता भजनलाल के पार्थिव शरीर के पास पहुंचे और पैर छुए। इस दौरान उनकी आंखों से अविरल अश्रु धारा बह रही थी। माता जसमा देवी को देखते ही वे और अधिक फफक पड़े। पुत्रवधु रेणुका जसमा देवी को संभाल रही थी। परिवार के अन्य सदस्यों का भी ऐसा ही हाल था। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के निधन का समाचार मिलते ही उनके सहयोगए समर्थक व कार्यकर्ता उनके आवास पर एकत्रित होना शुरू हो गए थे। एंबुलेंस से रविन्द्रा अस्पताल से उनका पार्थिव शरीर लाया गया। कुछ समय के लिए केवल परिवार के ही सदस्य पार्थिव शरीर के पास रहे और उसके बाद कार्यकर्ताओं के दर्शनार्थ रख दिया गया। इस दौरान चंद्रमोहन भजनलाल का सिर अपनी गोद में लेकर बैठे हुए थे। पार्थिव शरीर के दर्शन कर बाहर आने वाले उनके साथियों व विशेषकर युवा समर्थकों की आंखों से आंसू छलक रहे थे। उनके समर्थक एकांत में जाकर अपने परिचितों को यह दुखद समाचार भी दे रहे थे। दूसरी ओर भजनलाल के भतीजे दूड़ारामए द्वारका प्रसाद व देवीलाल इस भारी क्षति को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। भजनलाल के आवास पर पहुंचने वालों में विधायक संपत सिंहए विधायक सावित्री जिंदल के पुत्र पृथ्वी जिंदलए पूर्व विधायक कुलबीर बैनीवालए इनेलो नेता राजेश गोदाराए राहुल तायलए जगदीश जिंदलए धर्मपाल सरसानाए गुरमेश बिश्नोईए उग्रसेनए रमेश गोदाराए वेदपाल तंवरए ईश्वर सिंह पूनियाए उपायुक्त डॉण् अमित अग्रवालए पुलिस अधीक्षक हनीफ कुरैशीए उमंडलाधीश अमरदीप जैन व पुलिस उपाधीक्षक जगबीर राठी भी शामिल थे। हलवाए छोले भठूरे के थे शौकीन चंडीगढ़ए जागरण ब्यूरो रू प्रदेश की राजनीति पर अच्छी.खासी पकड़ रखने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चौण् भजनलाल का जीवन खुली किताब की तरह था। जीवन की अहम बातों को वह अपने विश्वासपात्रों के साथ अक्सर साझा करते थे। व्यवहार कुशलता के धनी भजनलाल को मेहमाननवाजी का बेहद शौक था। सुबहए दोपहर और शाम के समय अपने घर आने वाले कार्यकर्ताओं और समर्थकों के साथ.साथ आम लोगों को भी भोजन के बारे में पूछना वह कभी नहीं भूलते थे। भजनलाल के जीवन से जुड़ी कई ऐसी यादें हैंए जो उन्हें दूसरों से अलग खड़ा करती हैं। भजनलाल देसी घी के हलवे के बेहद शौकीन थे। हिसार जिले में देसी घी का बिश्नोइयों वाला हलवा उन्हें बेहद पसंद था। किसी खास आयोजन के लिए विभिन्न जिलों में वह हिसार से यह हलवा बनाने वाले कारीगर तक ले जाते थे। वहां हर किसी को हलवा खाने के लिए प्रेरित करते थे। इसके अतिरिक्त उन्हें छोले.भठूरे व लस्सी भी काफी पसंद थी। चुनाव जीतें या हारेंए रात तक सबका हिसाब रू भजनलाल के राजनीतिक जीवन की सबसे अहम बात यह थी कि वह चुनाव जीतें अथवा हारेंए लेकिन चुनाव में काम करने वाले हर व्यक्ति का हिसाब उसी दिन करना नहीं भूलते थे।