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18.6.10

LOCAL WORDS

आधुनिकता के साथ हम आगे तो बढ़ रहे हैं लेकिन आज की युवा पीढ़ी व भविष्य की पीढ़ी अपनी संस्कृति की जड़ों से दूर होती जा रही है। आज हालत तो यह है कि दादा द्वारा बोले गए शब्दों को बच्चे समझ ही नहीं पाते। यह कॉलम स्थानीय भाषा(बागड़ी) को समर्पित है जिसमें बागड़ी शब्दों के अर्थों को विस्तार से समझाया जाएगा। उम्मीद है कि आदमपुर डॉट इन की यह पहल दर्शकों को पसंद आएगी।

देशी शब्द हिंदी में अर्थ
तिंदर - नखरा
जुगाड़ - समाधान
टिंगर - छोटा बच्चा
अलबाद - समस्या
तीवण - तड़का लगाई हुई सब्जी
ऐंडी - गजब
अड़ंगो - सामान
खंडवा - सिर पर बांधा जाने वाला साफा
पोतडिय़ा - नवजात शिशुओं के नैपकीन
चूंटियो - मक्खन
बटाऊ - दामाद
बीन-बीनणी - पति-पत्नी
लुगाई - महिला
लत्ता - कपड़े
कढावणी - दूध गर्म करने के लिए मिट्टी का बना बर्तन
बिलौणा - लस्सी बनाने के लिए बर्तन
आसंग - तबीयत
आथण - शाम
झांझरका - अल सुबह
तावल - जल्दी
डांगर - पशु
पाडकी - भैंस की बच्ची
पाडिया - भैंस का बच्चा
खागड़ - आवारा बैल
हारो - चाट, दूध आदि गर्म करने का चूल्हा
तावड़ो - धूप
दीदा - आंख
भींत - दीवार
कुवाड़ - दरवाजा
माची - चारपाई
डाकर - उल्टी आना
झुंआरी - दामाद को दी जाने वाली राशि
जणेत - बारात
सुमठणी - शादी में बेटी-दामाद को दिए जाने वाले सामान की रस्म
सोड़ - रजाई
दायजा - दहेज
बनड़ो - दूल्हा
खुरड़ा - पैर
लोगड़ - रूई
डेडर - मेंढक
गंडक - कुत्ता
कलेवा - नाश्ता
गंठिया - प्याज
टिक्कड़ - रोटी

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