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18.6.10

GK BANK

क्‍या है सीएनजी
सीएनजी यानि कि संपीडित प्राकृतिक गैस (कंप्रेस्‍ड नेचुरल गैस) प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली अति ज्वलनशील गैस को अत्‍यधिक दबाव में रखने से बने तरल को कहते हैं। धरती के बहुत नीचे पाई जाने वाली यह गैस हवा से भी हल्‍की होती है। इसलिए इसके इस्‍तेमाल में सबसे बड़ी समस्‍या इसे स्‍टोर करने में आती है, जिसके लिए बड़ी जगह की जरूरत होती है।यही कारण है कि वाहनों में भी अतिरिक्‍त जगह की जरूरत होती है। लेकिन इस पर काम करने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि आने वाले सालों में इस समस्‍या पर काबू पा लिया जाएगा। सीएनजी का न तो कोई अपना रंग होता है, न गंध और न ही इसमें किसी प्रकार का जहर होता है। यह डीजल एवं पेट्रोल दोनों तरह के इंजनों में प्रयोग की जाती है। चूंकि सीएनजी डीजल एवं पेट्रोल की तुलना में कार्बन डाइऑक्‍साइड, नाइट्रोजन ऑक्‍साइड और जैविक गैसें कम उत्‍सर्जित करती है, इसलिए पर्यावरण के लिहाज से इसे उपयुक्‍त माना जाता है। यही कारण है कि विश्‍व के कई देश सीएनजी के प्रयोग के लिए जनता को प्रोत्‍साहित कर रहे हैं।इस समय दुनिया भर में करीब 125 लाख वाहन सीएनजी से चलाए जा रहे हैं। भारत में इनकी संख्‍या करीब 8 लाख बताई जाती है। एक अनुमान के मुताबिक साल 2020 तक सीएनजी से चलाए जाने वाले वाहनों की संख्‍या बढ़कर 270 लाख तक पहुंच जाएगी। वाहनों में इस गैस को प्रयोग करने के लिए 200 से 250 किलोग्राम प्रति वर्ग सेमी त‍क दबाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यह इंजन के दहन प्रकोष्‍ठ में सही दबाव के साथ प्रवेश कर सके। प्राकृतिक गैस की तरह ही मीथेन, ईथेन और प्रोपेन सीएनजी के अवयव हैं।

प्राकृतिक गैस से वाहन चलाने का इतिहास

प्राकृतिक गैस से वाहन चलाने की शुरुआत 1930 में अमरीका से हुई। इसके बाद 1950 के आसपास इसके प्रयोग मे लोगों की रुचि बढ़ती गई। आगे चलकर प्राकृतिक गैस से वाहन चलाने का प्रचलन बढ़ता गया।

आइए जानें क्या है नक्सलवाद

1967 में सशस्त्र क्राति के माध्यम से किसानों और मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी नामक स्थान पर एक आंदोलन की शुरूआत की गई थी। जिसे उसके स्थान के नाम पर नक्सलवाद आंदोलन कहा गया। इसके सिद्धांत मार्क्सवाद से प्रभावित थे, जबकि तरीके माओवाद से। माओ चीन के सश्सत्र क्रांति के प्रसिद्ध नेता थे जिनका ऐतिहासिक कथन था राजनीतिक सत्ता बंदूक की नली से निकलती है। इसके अलावा राजनीति रक्तहीन युद्ध है, जबकि युद्ध रक्त से भरी राजनीति।

मिथुन दा और नक्सलवादकथित तौर पर ये भी माना जाता है कि फिल्म एक्टर मिथुन चक्रवर्ति भी नक्लबाडी आंदोलन से जुड़े रहे। उनका कोडनेम राणा रेजा था, पुणे में फरारी के दिनों में ही उन्होंने एफटीटीआई पुणे की प्रवेश परीक्षा दी थी, जिसमें सफल होने के बाद आंदोलन से उनका जुड़ाव धीरे धीरे खत्म हो गया।

देशभर में पैर पसार चुका है नक्सलवाद

शुरूआत में यह आंदोलन केवल पश्चिम बंगाल में चलाया जा रहा था। लेकिन पिछले कुछ सालों में देश के बाकी भागों में भी यह फैलने लगा। खासकर पूर्वी भारत, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में भी माओवादियों के साथ नक्सलवादी अपने पैर पसारने लगे।

2009 के आंकड़ो के अनुसार नक्सली देश के 20 राज्यों की 220 जिलों में सक्रीय हैं। वह प्रमुख तौर पर रेड कॉरिडोर कहे जाने वाले क्षेत्रों में सक्रिय हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के मुताबिक देश में 20000 नक्सली काम कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नक्सलियों को देश के लिए सबसे बड़ा अंदरूनी खतरा बता चुके हैं। फरवरी 2009 में केंद्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, माहाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में जवाबी कार्रवाई के संयुक्त ऑपरेशन की घोषणा की थी।


THE ORIGINAL PHOTOGRAPH OF JHANSI KI RANI 1850?


अब तक आपने झांसी की रानी की तस्वीर पुस्तकों में स्केच या कैनवास पर ब्रश से उकेरे प्रयासों के सहारे ही देखा होगा, लेकिन भारत में रानी की रानी
लक्ष्मीबाई की मूल तस्वीर जिसको आप शायद ही कभी देखें हो।जी हां ये है झांसी की रानी की 1850 मैं खींची गई मूल तस्वीर, जिसे सन 1850 में अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने लिया था। पिछले दिनों विश्व फोटोग्राफी दिवस यानि 19 अगस्त को पद्मश्री वामन ठाकरे द्वारा खींचे गए छायाचित्रों, कैनवास पे उकेरे चित्रों, लेखन कार्य और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी का आयोजन भोपाल में किया गया था। इस प्रदर्शनी में उनके विशेष आग्रह पे अहमदाबाद के एक एंटिक संग्रहकर्ता ने यह छायाचित्र भेजा था।
इस फोटो को श्री वामन ने प्रदर्शनी में दिखाकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। क्योंकि लक्ष्मीबाई के मूल फोटो को आज तक शायद ही किसी ने देखा होगा। अभी तक ऐसा माना जाता रहा है कि इस दुनिया में रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर उपलब्ध नहीं है। लेकिन इस तस्वीर के एकाएक सामने आ जाने से यह साफ हो गया कि रानी की तस्वीर अभी भी उपलब्ध है


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