प्राकृतिक गैस से वाहन चलाने का इतिहास
प्राकृतिक गैस से वाहन चलाने की शुरुआत 1930 में अमरीका से हुई। इसके बाद 1950 के आसपास इसके प्रयोग मे लोगों की रुचि बढ़ती गई। आगे चलकर प्राकृतिक गैस से वाहन चलाने का प्रचलन बढ़ता गया।
आइए जानें क्या है नक्सलवाद
मिथुन दा और नक्सलवादकथित तौर पर ये भी माना जाता है कि फिल्म एक्टर मिथुन चक्रवर्ति भी नक्लबाडी आंदोलन से जुड़े रहे। उनका कोडनेम राणा रेजा था, पुणे में फरारी के दिनों में ही उन्होंने एफटीटीआई पुणे की प्रवेश परीक्षा दी थी, जिसमें सफल होने के बाद आंदोलन से उनका जुड़ाव धीरे धीरे खत्म हो गया।
देशभर में पैर पसार चुका है नक्सलवाद
शुरूआत में यह आंदोलन केवल पश्चिम बंगाल में चलाया जा रहा था। लेकिन पिछले कुछ सालों में देश के बाकी भागों में भी यह फैलने लगा। खासकर पूर्वी भारत, छत्तीसगढ़ और आंध्रप्रदेश में भी माओवादियों के साथ नक्सलवादी अपने पैर पसारने लगे।
2009 के आंकड़ो के अनुसार नक्सली देश के 20 राज्यों की 220 जिलों में सक्रीय हैं। वह प्रमुख तौर पर रेड कॉरिडोर कहे जाने वाले क्षेत्रों में सक्रिय हैं। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के मुताबिक देश में 20000 नक्सली काम कर रहे हैं। पिछले दिनों प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी नक्सलियों को देश के लिए सबसे बड़ा अंदरूनी खतरा बता चुके हैं। फरवरी 2009 में केंद्र सरकार ने नक्सलियों के खिलाफ छत्तीसगढ़, उड़ीसा, आंध्रप्रदेश, माहाराष्ट्र, झारखंड, बिहार, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में जवाबी कार्रवाई के संयुक्त ऑपरेशन की घोषणा की थी।
THE ORIGINAL PHOTOGRAPH OF JHANSI KI RANI 1850?
अब तक आपने झांसी की रानी की तस्वीर पुस्तकों में स्केच या कैनवास पर ब्रश से उकेरे प्रयासों के सहारे ही देखा होगा, लेकिन भारत में रानी की रानी
लक्ष्मीबाई की मूल तस्वीर जिसको आप शायद ही कभी देखें हो।जी हां ये है झांसी की रानी की 1850 मैं खींची गई मूल तस्वीर, जिसे सन 1850 में अंग्रेज फोटोग्राफर हॉफमैन ने लिया था। पिछले दिनों विश्व फोटोग्राफी दिवस यानि 19 अगस्त को पद्मश्री वामन ठाकरे द्वारा खींचे गए छायाचित्रों, कैनवास पे उकेरे चित्रों, लेखन कार्य और अन्य कलाकृतियों की प्रदर्शनी का आयोजन भोपाल में किया गया था। इस प्रदर्शनी में उनके विशेष आग्रह पे अहमदाबाद के एक एंटिक संग्रहकर्ता ने यह छायाचित्र भेजा था।
इस फोटो को श्री वामन ने प्रदर्शनी में दिखाकर लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया। क्योंकि लक्ष्मीबाई के मूल फोटो को आज तक शायद ही किसी ने देखा होगा। अभी तक ऐसा माना जाता रहा है कि इस दुनिया में रानी लक्ष्मीबाई की तस्वीर उपलब्ध नहीं है। लेकिन इस तस्वीर के एकाएक सामने आ जाने से यह साफ हो गया कि रानी की तस्वीर अभी भी उपलब्ध है
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