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3.9.10

PERSONALITIES

इस कॉलम में हम उन व्यक्तित्वों से दर्शकों व पाठकों को रूबरू करवाएंगे जो माटी से उठकर बुलंदियों का सफर तय कर समाज में एक मिसाल बने हैं। लेकिन इस कॉलम में उन्हीं व्यक्तित्वों को जगह दी जाएगी जिन्होंने सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए समाज को एक संदेश देने का भी काम किया है। पैसा कमाना महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि महत्वपूर्ण है अपने सिद्धांतों को जिंदा रखना।



कौन कहता है आसमां में छेद.................
जब वह छोटा-सा बच्चा बड़े लोगों और उनके रूतबे को देखता था तो उसके चंचल मन में भी बड़ा आदमी बनने के सपने तैरने लग जाते। लेकिन ठेठ ग्रामीण परिवेश में खेतीबाड़ी व पशुपालन के वातावरण में बड़े हो रहे उस बच्चे के लिए अपने सपने सच करने की डगर काफी कठिन थी। मगर ``'कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, तबीयत से एक पत्थर तो उछालो यारों```की तर्ज पर इस बच्चे ने अपनी सोच, सिद्धांत, संघर्ष, कर्तव्यनिष्ठा, दृढ़संकल्प व ईमानदारी के बलबूते न केवल अपने सपनों को साकार किया बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बनने का काम किया। आज हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली तथा गुजरात में शराब, माइन्स, टोल टैक्स आदि व्यवसायों में वह अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं मगर ईमानदारी व अपने सिद्धांतों के साथ जी हां, बात कर रहे हैं जिला हिसार के गांव चिड़ौद में जन्मे धर्मवीर सिंह गेट की चौ.फूलसिंह गेट के घर जन्मे धर्मवीर सिंह ने जब होश संभाला तो अपने चारों तरफ खेतीबाड़ी व पशुपालन का वातावरण ही पाया। बचपन में जब वे किसी बड़े आदमी व उसके रूतबे को देखते तो मन में बड़ा आदमी बनने की इच्छाएं हिलोरे लेने लग जाती। पढ़ाई में कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण की। इसी दौरान हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड विभाग में नौकरी भी मिल गई। लेकिन इस नौकरी से बचपन में देखे गए सपने साकार होते ना देख व कुछ कर गुजरने की कसक के चलते उन्होंने इस नौकरी को त्याग दिया और व्यवसाय में कूद पड़े। हरियाणा में शराब से शुरू हुआ व्यवसाय धीरे-धीरे हरियाणा के साथ-साथ दिल्ली, राजस्थान, गुजरात में माइन्स व टोल टैक्स तक भी जा पहुंचा। उनके इस सफर में महत्वपूर्ण बात पैसा कमाना नहीं रही बल्कि ईमानदारी व अपने सिद्धांतों से कभी समझौता ना करना व एक मनुष्य का धर्म व कर्तव्य निभाना रहा। उनके जीवन में कई ऐसे क्षण भी आए जिनमें यदि वे अपने सिद्धांतों से समझौता करते तो वे सिद्धांतों वाले धर्मवीर सिंह की जगह पैसे वाले धर्मवीर सिंह बनकर अकूत धन संपति तो बना लेते लेकिन यह उनके चरित्र के विपरीत होता। आज जब वो पीछे मुड़कर देखते हैं तो बचपन से शुरू हुए अब तक के सफर से संतुष्ट, प्रसन्नचित, सहजता व आत्मसंतुष्टि महसूस करते हैं।
आदमपुर डॉट इन परिवार करता है सलाम ऐसे व्यक्तित्व को........


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हम भी किसी से कम नहीं.........

महाप्रयोग में आदमपुर का सुनील बंसल
महाविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही बाप का साया सिर से उठ जाने के बाद सुनील के परिवार ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि उनका लाडला एक दिन वैज्ञानिक बनकर जिनेवा में चल रहे महाप्रयोग का हिस्सा बनकर गांव व प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे भारतवर्ष का मस्तक गर्व से उंचा कर देगा। हम बात कर रहे है मंडी आदमपुर के स्वर्गीय मदनलाल बंसल के होनहार पुत्र सुनील बंसल की। एक मध्यवर्गीय व साधारण परिवार में जन्में सुनील बंसल ने अपनी स्कूली शिक्षा आदमपुर के सरकारी स्कूल व बी.एस.सी. की पढ़ाई एफ.जी.एम. कॉलेज में पुरी की। बी.एस.सी. करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से फिजिक्स में मास्टर डिग्री की। इसके बाद इसी विश्वविद्यालय से पी.एच.डी. की उपाधि प्राप्त की। पी.एच.डी. करने के दौरान ही सुनील का चयन यूनिवर्सिटी ऑफ एंटवर्पन बेल्जियम द्वारा द लार्ज हैड्रान कोलाइडर (महाप्रयोग) पर अनुसंधान पर कार्य करने के लिए हुआ। इसी दौरान कार्य करते हुए उन्होंने जिनेवा में स्थित महामशीन के पार्टिकल : द हिग्स विषय पर अपनी पी.एच.डी. पुरी की। इसके बाद जिनेवा स्थित सर्न भौतिक प्रयोगशाला में करीब एक वर्ष तक शोधार्थी के रुप में कार्य किया। इसी दौरान सुनील ने हंगरी, इग्लैंड, फ्रांस व जर्मनी आदि देशों में हुए सेमीनारो में भाग लिया। हाल ही में उन्होंने शिकांगो (यू.एस.ए.) में स्थित फर्मी लैब में बतौर विजिटिंग वैज्ञानिक के रुप में कार्य किया। इस समय सुनील बेल्जियम की यूनिवर्सिटी ऑफ एंटवर्पन में रिसर्च एसोसिएट के तौर पर कार्य कर रहें है। सुनील बंसल की धर्मपत्नी मोनिका भी इसी महाप्रयोग पर स्वीटर्जरलैंड में रिसर्च स्कोलर के रुप में कार्य कर रहीं है। बड़ा भाई कमल बंसल गांव कोहली के राजकीय विद्यालय में गणित अध्यापक है। भाभी मधुबाला आदमपुर में जेबीटी अध्यापिका है। जबकि मां संतोषदेवी गृहणी है। कमल बंसल ने बताया कि सुनील ने महाप्रयोग मशीन पर सक्रिय रुप से कार्य करके यह साबित कर दिया की प्रतिभाएं किसी परिचय की मोहताज नहीं होती। शहरों में ही नहीं प्रतिभाएं ग्रामीण आंचल में भी बसती है बशर्तें उन्हें सही मार्गदर्शन मिले। युवाओं के प्रेरणास्त्रोत बन चुके सुनील बंसल हरियाणा के एक मात्र वैज्ञानिक है जो साधारण परिवार की पृष्ठ भूमि से जुड़े होने के बावजूद विश्व के सबसे बड़े महाप्रयोग पर काम कर रहे है।
उधर सरंपच सुभाषचंद्र अग्रवाल व अग्रवाल सभा के प्रधान घीसाराम जैन ने खुशी प्रकट करते हुए वैज्ञानिक सुनील बंसल को जल्द ही सम्मानित करने की बात कही है। व्यापार मंडल प्रधान श्यामलाल जैन, सचिव सतीश मित्तल, जगदीश भूत्थन, पुरूषेत्तम राणा, डॉ डी.पी. सिंह, राकेश शर्मा, जगदीशराय गर्ग, अमित मीतू, विजय सिवानी, प्रवीण गर्ग आदि ने खुशी प्रकट करते हुए सुनील को बधाई दी है। 

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