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15.10.11


चांद में नजर आए सजना............
मंडी आदमपुर,15 अक्टूबर।पति की लंबी आयु की कामना के लिए कस्बे की सुहागिन महिलाओं ने शनिवार को करवा चौथ का व्रत रखा। व्रत के चार-पांच दिन पहले से ही बाजारों में रौनकें लौट आई थी। वहीं दिनभर ब्यूटी पार्लरों, चूडिय़ों की दुकानों पर महिलाओं का तांता देखा गया। महिलाओं ने करवें में जल भरकर, रोली, चावल और गुड़ मां भगवती को अर्पण किया। गेहूं या चावल के तेरह दाने हाथ में लेकर करवे का पुजन किया। शाम को चंद्रमा को अध्र्य देकर करवा चाथ के व्रत का पारायण किया। व्रत के दौरान महिलाओं ने श्रंगार कर सुंदर परिधान पहने हुए थे। 
ए काश! देखूं आज की रात चांद-पिया दोनों साथ-साथ.... 
हर सुहागिन की यही ख्वाहिश होती है कि करवा चौथ की रात चांद और पिया का दीदार साथ-साथ हो। पति से सात समंदर दूर बैठी पत्नियों को आसमानी चांद तो नजर आ जाएगा, मगर उन्होंने अपने चांद के दर्शन के लिए तकनीक का सहारा लिया है। इंटरनेट और 3-जी सर्विसेज ने पति-पत्नी के बीच हजारों किलोमीटर की दूरी को भर दिया है। करवा चौथ पर पति की मंगलकामना और लंबी उम्र की दुआ के लिए रखा जाने वाला व्रत सुहागिनें चंद्रदर्शन के बाद खोलेंगी। वहीं शहर में कुछ विवाहिताएं ऐसी हैं, जो मीलों दूर बैठे पति के दर्शन वेबकैम और 3-जी फोन से कर व्रत पूरा करेंगी। शिव कॉलोनी निवासी शर्मिला का दसवां करवा चौथ है लेकिन उनके पति राजेंद्र नूनियां इस समय जॉब के सिलसिले में दुबई गए हैं। शर्मिला देवी ने बताया कि घर पर इंटरनेट कनेक्शन है। इसी से वह रात को चांद और पति का एक साथ दीदार करेंगी। वहीं, एक साल से आस्टे्रलिया में पढ़ाई कर रहे बोगा मंडी निवासी अमित धंवतरी की पत्नी अर्चना भी पति का दीदार 3-जी और इंटनेट पर करेंगी। उस समय वहां सूरज की रोशनी होगी लेकिन अपने देश में निकलने वाले चांद के मुताबिक वह वेबकैम के सामने होंगे। 

मानव समाज एक वृक्ष- भगवानदेव परमहंस
आदमपुर,15 अक्टूबर।मानव भौतिक सुख-सुविधाओं की चकाचौंध और भौतिक वस्तुओं की लालसा में प्रभु भक्ति से विमुख हो रहा है। मानव जीवन के उद्देश्य की व्याख्या करते हुए कहा कि मानव जीवन प्रभु को प्राप्त करने के लिए मिला है। यह सद्वचन अखिल भारतीय धर्म सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी भगवानदेव परमहंस ने शनिवार को लखीराम धर्मशाला में आयोजित भागवत सप्ताह के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सांसारिक आकर्षणों में बंधा मानव सही मार्ग से भटककर जीवन के द्वंदों राग, द्वेष, मोह, माया, सुख-दुख व गर्मी-सर्दी में फंसा हुआ है और यह सब उसके अज्ञानवश हो रहा है। उन्होंने कहा कि मानव समाज एक वृक्ष है। इसके धर्म, धन, सतकामनाओं की पूर्ति, मोक्ष सहित चार फल लगते हैं। भगवान वेदव्यास ने भागवत में कहा है कि मानव! धर्म का सहारा लो। मैं ऊंचे हाथ कर पुकार कर कहता हूं कि धर्म सारी समस्याओं का हल है। धर्म से धन मिलता है। सतकामनाएं पूर्ण होती है। परमात्मा का दर्शन सहज हो जाता है। मुक्ति तो धर्मात्मा पुरुष की दासी है। क्षमा, अहिंसा, सत्य, पवित्रता, शम, दम, आत्मानु, शासन, संयम, अपरिग्रह, संतोष, तप, स्वाध्याय आदि नियमों व सिद्धांतों जीवन मूल्यों को जीवन में उतार ले तो मानव महामानव बन जाता है। मानव उसी को कहते हैं जिसमें मानवता, धर्म, सदाचार हो। धर्महीन मनुष्य पशु के समान होता है।

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